पिशाच की वापसी
- rajababu
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Re: पिशाच की वापसी
बहुत ही उम्दा कहानी है... शानदार लेखन है
मित्रो मेरे द्वारा पोस्ट की गई कुछ और भी कहानियाँ हैं
( नेहा और उसका शैतान दिमाग..... तारक मेहता का नंगा चश्मा Running) भाई-बहन वाली कहानियाँ Running) ( बरसन लगी बदरिया_Barasn Lagi Badriya complete ) ( मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें Complete) ( बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ Running) ( आंटी और माँ के साथ मस्ती complete) ( शर्मीली सादिया और उसका बेटा complete) ( हीरोइन बनने की कीमत complete) ( चाहत हवस की complete) ( मेरा रंगीला जेठ और भाई complete) ( जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete) ( घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) complete) ( पहली नज़र की प्यास complete) (हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने complete ( चुदाई का घमासान complete) दीदी मुझे प्यार करो न complete
( नेहा और उसका शैतान दिमाग..... तारक मेहता का नंगा चश्मा Running) भाई-बहन वाली कहानियाँ Running) ( बरसन लगी बदरिया_Barasn Lagi Badriya complete ) ( मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें Complete) ( बॉलीवुड की मस्त सेक्सी कहानियाँ Running) ( आंटी और माँ के साथ मस्ती complete) ( शर्मीली सादिया और उसका बेटा complete) ( हीरोइन बनने की कीमत complete) ( चाहत हवस की complete) ( मेरा रंगीला जेठ और भाई complete) ( जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete) ( घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) complete) ( पहली नज़र की प्यास complete) (हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने complete ( चुदाई का घमासान complete) दीदी मुझे प्यार करो न complete
- rajsharma
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Re: पिशाच की वापसी
बहुत ही शानदार अच्छी शुरुआत है दोस्त
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(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: पिशाच की वापसी
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
- SATISH
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Re: पिशाच की वापसी
साथ बने रहने के लिये आप सब का बहुत आभारी हूं
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- SATISH
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Re: पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 4
"जब तुमने कालू को खोजा तो वह तुम्हें कहीं क्यों नहीं मिला”?
“नहीं जानता साहब, उसकी और मेरी दूरी कुछ फासले पर ही थी, लेकिन में उस ढूंढ ही नहीं पाया साहब, नहीं ढूंढ. पाया उसे में, सिर्फ़ 2 बार उसकी दर्दनाक, चीख सुनी बस उसके अलावा कुछ और नहीं"
उस आदमी की आवाज़ में डर, कंपन और एक गहरा सवाल झलक रहा था
"बहुत अजीब बात है ये, एक आदमी अचानक ऐसे कैसे गायब हो सकता है, जरूर कोई तो बात होगी”
“में आपको बोल रहा हूँ साहब, वहां कोई शैतान का वास है, जो सो रहा था और शायद, शायद हमने उस जगा दिया"
उस आदमी ने अटकते हुए अपनी बात को पूरा किया
"ऐसा कैसे हो सकता है, ये सब बातें बेकार की है, इनका कोई मतलब नहीं है, ये जरूर कुछ और है"
कुर्सी पे बैठे आदमी ने समझने की कोशिश की
“आपको ऐसा लगता है, तो ये बताइए की ये काम किसका हो सकता है"
बोलते हुए कालू के साथ जो आदमी था उसने अपने चेहरे को भी परदा किया, जिसे देख के कुर्सी पे बैठे आदमी की आवाज़ बंद हो गयी
उस आदमी का आधा चेहरा, अजीब से छालों से भरा हुआ था, जिसपे अजीब अजीब से छोटे छोटे किडे से दिखाई दे रहे थे
“ये, ये क्या है"?
हकलाते हुई उस आदमी ने पूछा
“ये वह चीज़ है साहब, जो मुझे कल मिली उस जगह पे, और इसका इलाज़ किसी दवाखाने पे भी नहीं है"
उस आदमी ने कहा और अपना चेहरा फिर से ढक लिया.
“मेरी बात मानिए साहब, वहां कुछ है, जो नहीं होना चाहिये, शायद कोई बड़ा तूफान आने वाला है, एक ऐसा तूफान, जिसकी असलियत सब को खत्म कर देगी"
पहले वाले आदमी ने इस बात को एक ऐसे लहज़े में कहा, की एक पल के लिए सबकी रूह में अजीब सी कंपन दौड़ गयी, हॉल में शांति फैल गयी की तभी
"चटाककककककककक"
एक बार फिर हॉल में आवाज़ आई, जिससे सबकी दिल को एक ज़ोर का धक्का लगा, लेकिन सबने पाया की हॉल में लगी खिड़की खुल गयी थी, और हवा अंदर आ रही थी, नौकर उठा उसने खिड़की को बंद किया और फिर लकड़ियाँ जलाने में लग गया, जो की अभी तक नहीं जलाई गयी थी क्यों की वह खुद ये सब बातें सुनने में खो गया था, वह लकड़ियाँ जला ही रहा था की इतनी देर में दरवाजे पे नॉक हुआ.
“लगता है वह आ गया, छोटू ज़रा जाकर दरवाजा खोल"
कुर्सी पे बैठे आदमी ने फौरन कहा छोटू उठा, और दरवाजे के पास पहुंच कर उस खोला,
“आइये साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे"
छोटू ने इतना कहा, और दरवाजे से एक शॅक्स को अंदर आने की जगह दे दी.
“आइये, साहब आपका ही इंतजार कर रहे हैं"छोटू ने कहा और दरवाजे से हट गया.
अंदर घुसते ही उस आदमी ने अपनी छतरी बंद की और छोटू को दे दी, ब्लैक कोट में चलता हुआ वह आदमी हॉल के अंदर घुसा, जिसे देख कर सब एक बार फिर खड़े हो गये, सिवा उस कुर्सी पे बैठे आदमी के.
“अरे मालिक आप यहाँ"
उनमें से एक आदमी ने कहा.
उस आदमी ने कुछ नहीं कहा, बस अपनी टोपी अपने सर से हटाई और कुर्सी पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ा.
“आओ, जावेद आओ, तुम्हारा ही इंतजार किया जा रहा था"
"आपके बुलावे पे तो आना ही था मुख्तार साहब, कैसे हैं आप"
जावेद ने कुर्सी पे बैठते हुए कहा, जो अभी अभी छोटू रख के गया था.
"बस कुछ देर पहले तक तो ठीक था, पर इन सब की बातें सुन के"
मुख्तार ने बस इतना ही कहा और वह चुप हो गया.
"तो आप सब ने इन्हें सब कुछ बता दिया"
जावेद ने सभी की तरफ नज़रे करते हुए कहा.
"क्या करते मालिक, एक के बाद एक हमारे कुछ आदमी इन 2 दीनों में गायब हो गये, इसलिए हमें आना ही पड़ा बडे मालिक से मिलने"
उस आदमी ने हाथ जोड़ते हुए कहा.
"हम्म, में तभी समझ गया था, जब मुख्तार साहब का फोन आया था शाम को, की किस विषय में बात करनी है"
जावेद ने अपने हाथ में पहने ग्लव्स उतारते हुए कहा.
"मैंने तुम्हें इसीलिए बुलाया, की जब मुझे इन सब ने मिलने के लिए कहा तो मुझे लगा कोई बड़ी बात होगी, क्यों की अगर कोई छोटी, मोटी होती तो तुम उसे खुद सुलझा लेते"
मुख्तार ने अपने हाथ मसलते हुए कहा.
"हम्म सही कहा आपने, बात थोड़ी बड़ी ही है मुख्तार साहब"
जावेद ने अजीब सी नजरों से मुख्तार को देखा, दोनों के बीच कुछ सेकेंड के लिए आँखों में इशारे हुए, फिर दोनों सामने मजदूरों को देखने लगे.
"समस्या तो है, पर इतनी भी बड़ी नहीं की, उस सुलझाया ना जा सके"
जावेद अपनी जगह से खड़ा होता हुआ बोला.
"लेकिन ये सब जो कह रहे हैं, वह सब क्या है"?
मुख्तार ने खड़े होते हुए कहा.
"कोई है मुख्तार साहब, जो शायद हमारे साथ खेल कर रहा है, कोई है जो नहीं चाहता वहां काम हो"
जावेद ने पानी का गिलास भरते हुए कहा.
"सही कहा मालिक आपने, वहां कोई शैतानी रूह है, जो नहीं चाहती हम वहां काम करे, नहीं चाहती वह, तभी वह हम सब को गायब कर रही है"
जावेद ने पानी का गिलास खत्म किया और पीछे मूंड़ के सभी को देखने लगा,
"ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सब सोच रहे हो, कोई शैतान नहीं है, तुम सब अपने दिमाग से ये भ्रम निकल दो"
जावेद ने सबको समझाते हुए कहा.
"ये आप कैसे कह सकते हैं मालिक, आप तो थे 2 दिन हमारे साथ, कितना ढूंढा कालू को और बाकियों को, पर कोई नहीं मिला हमें, वहां कोई भटकती रूह है मालिक, कोई बहुत ही शक्तिशाली और खतरनाक रूह, हम वहां काम नहीं करेंगे, कोई नहीं, हम में से कोई भी नहीं करेगा"
उनमें से एक आदमी ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा.
"काम नहीं करोगे, ऐसे कैसे नहीं करोगे तुम सब काम"
पहली बार मुख्तार थोड़े गुस्से में बोले.
"जब तुमने कालू को खोजा तो वह तुम्हें कहीं क्यों नहीं मिला”?
“नहीं जानता साहब, उसकी और मेरी दूरी कुछ फासले पर ही थी, लेकिन में उस ढूंढ ही नहीं पाया साहब, नहीं ढूंढ. पाया उसे में, सिर्फ़ 2 बार उसकी दर्दनाक, चीख सुनी बस उसके अलावा कुछ और नहीं"
उस आदमी की आवाज़ में डर, कंपन और एक गहरा सवाल झलक रहा था
"बहुत अजीब बात है ये, एक आदमी अचानक ऐसे कैसे गायब हो सकता है, जरूर कोई तो बात होगी”
“में आपको बोल रहा हूँ साहब, वहां कोई शैतान का वास है, जो सो रहा था और शायद, शायद हमने उस जगा दिया"
उस आदमी ने अटकते हुए अपनी बात को पूरा किया
"ऐसा कैसे हो सकता है, ये सब बातें बेकार की है, इनका कोई मतलब नहीं है, ये जरूर कुछ और है"
कुर्सी पे बैठे आदमी ने समझने की कोशिश की
“आपको ऐसा लगता है, तो ये बताइए की ये काम किसका हो सकता है"
बोलते हुए कालू के साथ जो आदमी था उसने अपने चेहरे को भी परदा किया, जिसे देख के कुर्सी पे बैठे आदमी की आवाज़ बंद हो गयी
उस आदमी का आधा चेहरा, अजीब से छालों से भरा हुआ था, जिसपे अजीब अजीब से छोटे छोटे किडे से दिखाई दे रहे थे
“ये, ये क्या है"?
हकलाते हुई उस आदमी ने पूछा
“ये वह चीज़ है साहब, जो मुझे कल मिली उस जगह पे, और इसका इलाज़ किसी दवाखाने पे भी नहीं है"
उस आदमी ने कहा और अपना चेहरा फिर से ढक लिया.
“मेरी बात मानिए साहब, वहां कुछ है, जो नहीं होना चाहिये, शायद कोई बड़ा तूफान आने वाला है, एक ऐसा तूफान, जिसकी असलियत सब को खत्म कर देगी"
पहले वाले आदमी ने इस बात को एक ऐसे लहज़े में कहा, की एक पल के लिए सबकी रूह में अजीब सी कंपन दौड़ गयी, हॉल में शांति फैल गयी की तभी
"चटाककककककककक"
एक बार फिर हॉल में आवाज़ आई, जिससे सबकी दिल को एक ज़ोर का धक्का लगा, लेकिन सबने पाया की हॉल में लगी खिड़की खुल गयी थी, और हवा अंदर आ रही थी, नौकर उठा उसने खिड़की को बंद किया और फिर लकड़ियाँ जलाने में लग गया, जो की अभी तक नहीं जलाई गयी थी क्यों की वह खुद ये सब बातें सुनने में खो गया था, वह लकड़ियाँ जला ही रहा था की इतनी देर में दरवाजे पे नॉक हुआ.
“लगता है वह आ गया, छोटू ज़रा जाकर दरवाजा खोल"
कुर्सी पे बैठे आदमी ने फौरन कहा छोटू उठा, और दरवाजे के पास पहुंच कर उस खोला,
“आइये साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे"
छोटू ने इतना कहा, और दरवाजे से एक शॅक्स को अंदर आने की जगह दे दी.
“आइये, साहब आपका ही इंतजार कर रहे हैं"छोटू ने कहा और दरवाजे से हट गया.
अंदर घुसते ही उस आदमी ने अपनी छतरी बंद की और छोटू को दे दी, ब्लैक कोट में चलता हुआ वह आदमी हॉल के अंदर घुसा, जिसे देख कर सब एक बार फिर खड़े हो गये, सिवा उस कुर्सी पे बैठे आदमी के.
“अरे मालिक आप यहाँ"
उनमें से एक आदमी ने कहा.
उस आदमी ने कुछ नहीं कहा, बस अपनी टोपी अपने सर से हटाई और कुर्सी पे बैठे आदमी की तरफ बढ़ा.
“आओ, जावेद आओ, तुम्हारा ही इंतजार किया जा रहा था"
"आपके बुलावे पे तो आना ही था मुख्तार साहब, कैसे हैं आप"
जावेद ने कुर्सी पे बैठते हुए कहा, जो अभी अभी छोटू रख के गया था.
"बस कुछ देर पहले तक तो ठीक था, पर इन सब की बातें सुन के"
मुख्तार ने बस इतना ही कहा और वह चुप हो गया.
"तो आप सब ने इन्हें सब कुछ बता दिया"
जावेद ने सभी की तरफ नज़रे करते हुए कहा.
"क्या करते मालिक, एक के बाद एक हमारे कुछ आदमी इन 2 दीनों में गायब हो गये, इसलिए हमें आना ही पड़ा बडे मालिक से मिलने"
उस आदमी ने हाथ जोड़ते हुए कहा.
"हम्म, में तभी समझ गया था, जब मुख्तार साहब का फोन आया था शाम को, की किस विषय में बात करनी है"
जावेद ने अपने हाथ में पहने ग्लव्स उतारते हुए कहा.
"मैंने तुम्हें इसीलिए बुलाया, की जब मुझे इन सब ने मिलने के लिए कहा तो मुझे लगा कोई बड़ी बात होगी, क्यों की अगर कोई छोटी, मोटी होती तो तुम उसे खुद सुलझा लेते"
मुख्तार ने अपने हाथ मसलते हुए कहा.
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जावेद ने अजीब सी नजरों से मुख्तार को देखा, दोनों के बीच कुछ सेकेंड के लिए आँखों में इशारे हुए, फिर दोनों सामने मजदूरों को देखने लगे.
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मुख्तार ने खड़े होते हुए कहा.
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"सही कहा मालिक आपने, वहां कोई शैतानी रूह है, जो नहीं चाहती हम वहां काम करे, नहीं चाहती वह, तभी वह हम सब को गायब कर रही है"
जावेद ने पानी का गिलास खत्म किया और पीछे मूंड़ के सभी को देखने लगा,
"ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सब सोच रहे हो, कोई शैतान नहीं है, तुम सब अपने दिमाग से ये भ्रम निकल दो"
जावेद ने सबको समझाते हुए कहा.
"ये आप कैसे कह सकते हैं मालिक, आप तो थे 2 दिन हमारे साथ, कितना ढूंढा कालू को और बाकियों को, पर कोई नहीं मिला हमें, वहां कोई भटकती रूह है मालिक, कोई बहुत ही शक्तिशाली और खतरनाक रूह, हम वहां काम नहीं करेंगे, कोई नहीं, हम में से कोई भी नहीं करेगा"
उनमें से एक आदमी ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा.
"काम नहीं करोगे, ऐसे कैसे नहीं करोगे तुम सब काम"
पहली बार मुख्तार थोड़े गुस्से में बोले.
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