Fantasy मोहिनी

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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

वक्त पंख लगाकर उड़ता चला गया और फिर मैंने किशोरावस्था से जवानी की दहलीज पर कदम रखा। जवानी हौसलों और उमंगो के साथ आगे बढ़ती है, अनगिनत कामनाएं अंगड़ाई लेती हैं, मेरी भी तमन्नाएँ थी, हसरते थी, आरजू थी। अब मैं वहां से शुरू करता हूँ जहाँ से मेरी जिंदगी की जंग का आगाज हुआ।

उन दिनों मैं दिल्ली के स्लम एरिया में रहता था जो गांधीनगर में झील के नाम से जाना जाता है। एक कम्पनी में जॉब लग गई थी जहाँ मैं अकाउंट सेक्शन में एक क्लर्क की हैसियत से काम करता था। यह कम्पनी दरियागंज में आसिफ अली रोड पर थी। रविवार अवकाश का दिन होता था। बाकि दिन मैं ठीक वक्त पर ऑफिस पहुँचता और ऑफिस बंद होते ही बस पकड़कर गांधीनगर आ जाता था। बस यही मेरी दिनचर्या थी। ऑफिस के कर्मचारियों के अतिरिक्त न मेरा कोई मित्र था न परिचित। मैं एक कमरे के फ़्लैट में रहता था। खाना एक मीडियम क्लास होटल में खा लेता था।

एक दिन मैं मॉर्निंग वॉक से वापस आ रहा था तो रास्ते में एक अधेड़ आयु की महिला ने मुझे रोक लिया। उनके हाथ में पूजा की एक थाली थी। वह शक्ल से ही पूजा-पाठी दिखती थी। माथे पर दोनों भौंहो के मध्य गोल टीका लगा हुआ था। चेहरे पर विलक्षण तेज था और आँखों में अजीब सी कशिश थी। मुझे हैरानी हुई कि वह मेरे लिये अपरिचित थी परन्तु उसने मेरा नाम लेकर पुकारा था।

“राज!” उसने ठीक मेरे सामने रुक कर कहा, “जरा रुको तो...।”

मैं ठिठक गया, हैरानी से उसे देखने लगा, “अरे! ऐसे क्या देख रहे हो, मैं तुम्हारे पड़ोस में रहती हूँ।”

“पर आप मेरा नाम कैसे जानती हैं ?” मैंने पूछा।

“मेरा बेटा रामा तुमसे मिल चुका है। वह तुम्हारे कमरे पर आया होगा। उसी से मुझे तुम्हारा नाम पता चला।”

मुझे ध्यान आया कि एक-दो बार मेरे पड़ोस में रहने वाला एक नौजवान मुझसे मिल चुका था। उसका नाम रामा था।

“जी कहिये....।”

“आज शाम को मेरे घर माता की चौकी लगेगी, पूजा है। मुझे एक अनुष्ठान करना है, अगर तुम पूजा में शामिल हो जाओ तो बहुत शुभ होगा। मेरी मनोकामना पूरी हो जायेगी।”

“अरे आंटी! मैं क्या देवता हूँ जो मेरे आने से आपकी मनोकामना पूरी हो जायेगी।”

“बेटा पूजा में शामिल होने से इंकार नहीं करते।”

“ठीक है! आ जाऊंगा।” मैं लापरवाही से कन्धे उचका कर बोला।

“शाम आठ बजे का समय है।” वह बोली।

“ठीक है आठ बजे आ जाऊंगा।”

फिर मैं आगे बढ़ गया। मैं देवी-देवताओं या कर्मकांड पर विश्वास नहीं करता था। मैं पूरी तरह नास्तिक था। कभी किसी मंदिर या दरगाह में नहीं गया था। फिर भी उस औरत की आवाज में कुछ खास बात जरूर थी जो मैंने पूजापाठ में शामिल होने का वादा कर लिया।
josef
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by josef »

😔

बढ़िया उपडेट तुस्सी छा गए बॉस

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा


(^^^-1$i7) 😘
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rajsharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by rajsharma »

😔

बहुत ही शानदार अच्छी शुरुआत है
Read my all running stories

(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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